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शौक कैसे कैसे

एक ऐसी किताब जो उस शख्शियत ने बनाई है, जो जीता है, अपनी जिंदगी को एक मकसद से मंजिल थी, भारतीय विरासत को सहेजना, उन्हें शौक था ऐतिहासिक पहलुओं पर आज की पीढ़ी का ध्यान आकर्षित करना, जिससे कि वह भारत देश की सभ्यता संस्कृति एवं संप्रभुता को भूतकाल से लेकर वर्तमान काल तक समझा सके।

अमरेन्द्र आनन्द जी ने शुरुआत की अपने बचपन से उम्र थी शायद (10 वर्ष) किशोरावस्था का दौर था अपने शिक्षण के दरमियान उनका एक सपना था अपने शौक को एक आयाम देना, मन में अभिलाषाएं थी, की दुनिया में हर व्यक्ति की अलग मंजिल होती है, क्यों ना? में अपनी मंजिल भारतीय एतिहासिक धरोहरों के संग्रह को बनाऊं, और बस उसी समय उन्होंने यह प्रण लिया, की आज के बाद में भारतीय मुद्रा, बैंकिंग व्यवस्था, इंश्योरेंस सिस्टम एवं इससे संबंधित हर एक विषय पर अपने ज्ञान को बढ़ाने के साथ साथ एक विस्तृत संघह की शुरुआत करूंगा, जो कि आगे चलकर एक मान्यता प्राप्त संग्रहालय का रूप लेगी, और आज अमरेन्द्र आनन्द जी के 50 सालों के मेहनत को आप धनबाद स्थित’ आनन्द हेरिटेज गैलरी निजी एवं सुव्यवस्थित संग्रहालय के रुप में जानते हैं, अमरेन्द्र आनन्द जी ने इस मंजिल को पाने के लिए कितनी मेहनत की यह आप समझ भी नहीं पाएंगे, अपने शौक के साथ मंजिल को पाने के लिए उन्होंने अपने देश के अलावा विदेश तक भी अपनी संस्कृति एवं परंपरा तथा अपने इतिहास का प्रचार एवं प्रसार किया है। आज के समय यह संग्रहालय पुरी तरह डिजिटल फॉर्म में उपल्ब्ध है।

अमरेन्द्र आनन्द जी के शौक और सपनों का वास्तविक चित्रण है, आनन्द हेरिटेज गैलरी भारतीय मुद्रा प्रणाली पर एक विस्तृत संग्रह जो कि अपने आप में एक मिसाल है, जहां पर पौराणिक कौड़ियों से लेकर वर्तमान समय तक की भारतीय मुद्रा प्रणाली में प्रचलित क्रेडिट एवं डेबिट कार्ड का महत्वपूर्ण संग्रह मौजूद है. भारतीय बैंक नोट्स पर भी एक विस्तृत संग्रह है, बैंक चेक्स, शेयर सर्टिफिकेट, पासबुक पे इन स्लीप, विभिन्न बैंकों के दस्तावेज सहित भारतीय जीवन बीमा व्यवस्था पर भी एक विस्तृत संग्रह है। और तो और श्री अमरेन्द्र आनन्द जी ने ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं छोड़ा, जिसमें उन्हें लगा कि अति महत्वपूर्ण भारतीय मुद्रा संग्रह को एकत्रित करके हमारे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है. इसके अलावा, भारतीय डाक व्यवस्था एवं रेवन्यू स्टंप्स जो कि आजादी से पहले और आज तक प्रचलित हैं, बेज, मेडल, टोकन एवं तमगे, जो अनादि काल से चली आ रही हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की निशानी है।

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